Fascination About bhoot ki kahani

Bhoot ki kahani

आज भी जब हम सुनते हैं कि हमारे बच्चे पिकनिक जा रहे हैं । तब हमें हमारी पुरानी घटना याद आ जाती है। कि कैसे हम लोग बच बचाके निकल आए थे । पिकनिक के नाम से हमे आज भी बहुत डर लगता है। भगवान सबकी रक्षा करें।

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जब उन्होंने जंगल में प्रवेश किया तो देखा, सूरज की रोशनी पेड़ के घने पत्तो से संघर्ष करते  हुए जमीन पर गिर रही थी। जंगल एकदम शांत था। उनको डर भी बहोत लग रहा था, लेकिन उनकी उत्तेजना ने उन्हें आगे बढ़ाया। कभी-कभार उल्लू की आवाज को छोड़कर जंगल में सन्नाटा था।

पमिनाबहन और उनके परिवार को यह हकीकत पता चलते ही, वह लोग मकान मालिक की अतृप्त आत्मा की मुक्ति का उपाय करवा देते हैं।

और तभी मुझे याद आया कि वो जो चिट्ठी आई थी। उसमें उसका पता तो होगा। फिर मैं उसका पता पढ़ कर उसके पते के अनुसार मैं उसके घर मिलने के लिए गया।

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अंत में हार कर पमिनबहन और उनके परिवार ने घर छोड़ के वहाँ से चले जाने का फैसला कर लिया।

बात करते-करते सुबह हो गई ।अचानक मेरी नजर दीवाल पर पड़ी तभी मेने देखा कि मेंम साहब की फोटो दीवार पर लगी हुई थी ।तब मैंने बोला कि माता जी जी यही मेमसाब थी।

लेकिन वहां पर कोई ना दिखा तो मैं किसी तरह मम्मी के कमरे में पहुंचा .

उस आदमी का चेहरा ही गायब था। रमेश वहां से भागकर वेटिंग रूम में आ गया। उसने जो देखा था, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ। वह फिर से कुछ देर बाद उसी जगह पर चेक करने गया तो उसने देखा कि वहां कोई भी नहीं था। बस उसका शॉल गिरा हुआ है।

अचानक, उनके सामने लंबे बालो वाली सफ़ेद साडी में एक आत्मा प्रकट हुई। यह एक प्राचीन अभिभावक की आत्मा थी जो सदियों से गुफा की रक्षा कर रही थी। आत्मा ने उन्हें बताया यह गुफा श्रापित है, और कुत्ता उसी श्राप का शिकार था।

उस दिन से वह घर भुत से आजाद हो गया। गांब वालो ने सारे बच्चों के साहस की तारीफ की और सबको इनाम भी दिया।

वह एक रात ड्यूटी कर ही रहा था कि तभी उसने देखा कि घड़ी में दो बज गए थे। सारा प्लैटफॉर्म खाली था। तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। गार्ड ने देखा कि वहां कोई नहीं था। वह प्लैटफॉर्म के चक्कर काटने लगा कि तभी उसे परछाई दूर जाती हुई दिखाई दी। वह परछाई एक शरीर में बदल गई और उस गार्ड के पास जाकर खड़ी हो गई। गार्ड ने पीछे मुड़कर देखा और उसके सामने रमेश खड़ा था।

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